घर पर बोर होकर, मैं अपनी कंपनी में सांत्वना चाहती हूं। मेरी उंगलियां मेरे उभारों को तलाशती हैं, आनंद की लहरों को प्रज्वलित करती हैं। आत्म-भोग का यह अंतरंग क्षण एक कामुक तमाशा बन जाता है, जो आत्म-प्रेम की शक्ति का एक वसीयतनामा बन जाता है।.
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