भव्यता में लिप्त होकर, वह अपनी इच्छाओं को उजागर करता है। हर स्ट्रोक के साथ, वह आनंद को अपनाता है, पल में खो जाता है। आत्म-भोग और आनंद का एक तमाशा।.
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